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Mantra Rig 01.078.003

MANTRA NUMBER:

Mantra 3 of Sukta 78 of Mandal 1 of Rig Veda

Mantra 3 of Varga 26 of Adhyaya 5 of Ashtak 1 of Rig Veda

Mantra 27 of Anuvaak 13 of Mandal 1 of Rig Veda

 

 

MANTRA DEFINITIONS:

ऋषि:   (Rishi) :- गोतमो राहूगणः

देवता (Devataa) :- अग्निः

छन्द: (Chhand) :- गायत्री

स्वर: (Swar) :- षड्जः

 

 

THE MANTRA

 

The Mantra with meters (Sanskrit)

तमु॑ त्वा वाज॒सात॑ममङ्गिर॒स्वद्ध॑वामहे द्यु॒म्नैर॒भि प्र णो॑नुमः

 

The Mantra without meters (Sanskrit)

तमु त्वा वाजसातममङ्गिरस्वद्धवामहे द्युम्नैरभि प्र णोनुमः

 

The Mantra's transliteration in English

tam u tvā vājasātamam agirasvad dhavāmahe | dyumnair abhi pra onuma 

 

The Pada Paath (Sanskrit)

तम् ऊँ॒ इति॑ त्वा॒ वा॒ज॒ऽसात॑मम् अ॒ङ्गि॒र॒स्वत् ह॒वा॒म॒हे॒ द्यु॒म्नैः अ॒भि प्र नो॒नु॒मः॒

 

The Pada Paath - transliteration

tam | o iti | tvā | vāja-sātamam | agirasvat | havāmahe | dyumnai | abhi | pra | nonumaḥ 


महर्षि दयानन्द सरस्वती  Maharshi Dayaananda Saraswati

मन्त्र संख्याः

 

संस्कृत

हिन्दी

०१।०७८।०३

मन्त्रविषयः

पुनः स कीदृश इत्युपदिश्यते ।

फिर वह विद्वान् कैसा हो, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में किया है ।

 

पदार्थः

(तम्) यशस्विनम् (उ) वितर्के (त्वा) त्वाम् (वाजसातमम्) यो वाजान् प्रशस्तान् बोधान् संभजते सोऽतिशयितस्तम् (अङ्गिरस्वत्) प्रशस्तप्राणवत् (हवामहे) स्वीकुर्मः (द्युम्नैः) पुण्ययशोभिः सह (अभि) सर्वतः (प्र) प्रकृष्टे (नोनुमः) स्तुमः ॥३॥

हे विद्वन् ! (द्युम्नैः) पुण्यरूपी कीर्तियों के साथ जिस (वाजसातमम्) अतिप्रशंसित बोधों से युक्त विद्वान् की और (त्वा) आपकी हम लोग (हवामहे) स्तुति करें (उ) अच्छे प्रकार (अङ्गिरस्वत्) प्रशंसित प्राण के समान (अभि) सब ओर से (प्र णोनुमः) सत्कार करते हैं सो तुम (तम्) उसी की स्तुति और प्रणाम किया करो ॥३॥

 

अन्वयः

हे विद्वन् ! विद्वांसो वयं यं द्युम्नैर्वाजसातमं त्वामु हवामहे स्तुमो यमङ्गिरस्वदभिप्रणोनुमस्तं त्वं स्तुहि प्रणम ॥३॥

 

 

भावार्थः

हे मनुष्या ! एवं सत्कारेण विदुषः सन्तोष्य धर्मार्थकाममोक्षसिद्धिं कुरुत ॥३॥

हे मनुष्यो ! तुम लोग विद्वान् को उक्त प्रकार के सत्कार से सन्तुष्ट करके धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को सिद्ध करो ॥३॥







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